Amit Kapruwan

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Holi with kids...

मतवालों को समर्पित.....

आज दिखा है अजब सा मंजर, 

धूल उड़ी है सीमा पर

कायर दुश्मन घात लगाये, 

पीठ पे खंजर घोंप गया |

यूँ तो सैनिक हर क्षण तत्पर, 

मार सके ना पंछी भी पर

किन्तु करें क्या अपना कोई, 

सिक्कों में खुद को बेच गया |

कोई अपना दाम लगाये, 

लालच में अंधा हो जाये

निम्न कोटि का दानव है जो, 

देश के हित से खेल गया |

खुल कर जो भी करे सामना, 

उसका मान न होता कम 

जो षड्यंत्रों की ढाल करे, 

अपनी पुश्तों को लील गया |

भारत के वीरों के वंशज, 

गर्वित जीवन हैं भोग रहे 

पर दुष्टों के परिवारों में, 

आशा भी नहीं ना जले दिया |

जो प्राणाहुति दे देते हैं, 

यज्ञों में देश की रक्षा के

उनके पदचिन्हों की रज को, 

है सर्वश्रेष्ठ स्थान मिला |

प्राणाहुति से भी बढ़कर, 

बलिदान कोई क्या होता है?

इस लोक का जन वो ही जाने, 

जिसका ‘अमित’ कोई बलि गया |

जय हिंद !