Optimist
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मतवालों को समर्पित.....
आज दिखा है अजब सा मंजर,
धूल उड़ी है सीमा पर
कायर दुश्मन घात लगाये,
पीठ पे खंजर घोंप गया |
यूँ तो सैनिक हर क्षण तत्पर,
मार सके ना पंछी भी पर
किन्तु करें क्या अपना कोई,
सिक्कों में खुद को बेच गया |
कोई अपना दाम लगाये,
लालच में अंधा हो जाये
निम्न कोटि का दानव है जो,
देश के हित से खेल गया |
खुल कर जो भी करे सामना,
उसका मान न होता कम
जो षड्यंत्रों की ढाल करे,
अपनी पुश्तों को लील गया |
भारत के वीरों के वंशज,
गर्वित जीवन हैं भोग रहे
पर दुष्टों के परिवारों में,
आशा भी नहीं ना जले दिया |
जो प्राणाहुति दे देते हैं,
यज्ञों में देश की रक्षा के
उनके पदचिन्हों की रज को,
है सर्वश्रेष्ठ स्थान मिला |
प्राणाहुति से भी बढ़कर,
बलिदान कोई क्या होता है?
इस लोक का जन वो ही जाने,
जिसका ‘अमित’ कोई बलि गया |
जय हिंद !